Death news of Vijaya Kanth

VijayAkanth Death नहीं रहे DMDK चीफ विजयकांत 2023

Vijayakanth Death: नहीं रहे DMDK चीफ विजयकांत, कोरोना के चलते वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे…अभिनेता से राजनेता बने दक्षिण भारत के सुपरस्‍टार और DMDK चीफ विजयकांत का आज गुरुवार को निधन हो गया है. कई दिनों से वो बीमार चल रहे थे. उन्‍हें सांस से जुड़ी परेशानी थी, जिसके कारण उन्‍हें चेन्‍नई के एक अस्‍पताल में भर्ती कराया गया!

Vijayakanth Passes Away:

दक्षिण भारत के सुपरस्‍टार और DMDK चीफ विजयकांत का आज गुरुवार को निधन हो गया है. बताया जा रहा है कि वे कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे. उन्‍हें सांस लेने में दिक्‍कत हो रही थी, जिसके कारण वो चेन्‍नई के एक प्राइवेट अस्‍पताल में वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे. यहीं उन्‍होंने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. उनके निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी ने भी शोक प्रकट किया अपनी जमापूंजी से चलाई पार्टी, 18 साल तक तमिलनाडु में छाए रहे, विजयकांत यूं ही नहीं थे सियासत के ‘कैप्टन’विजयकांत के निधन के बाद सदेसिया मुरपोक्कु द्रविड़ कडगम (डीएमडीके) महासचिव और विजयकांत की पत्नी प्रेमलता को पार्टी को आगे बढ़ाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन Vijayakanth विजयकांत एक ऐसा नाम है जो तमिलनाडु की राजनीति या फिल्म उद्योग में फीका नहीं पड़ेगा।

तमिल फिल्मों में एक्शन हीरो के पर्याय Vijayakanth विजयकांत ने बड़े पर्दे पर भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई और राजनीति में उल्लखेनीय बदलाव किया। वह बहुत ही कम समय में तमिलनाडु के सियासी आसमान के चमकते सितारे भी बने जिससे समर्थकों में उनके राज्य का मुख्यमंत्री बनने की आस जगी लेकिन खराब स्वास्थ्य उन पर हावी होता गया। उनकी आवाज भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर थी और कभी-कभी राज्य की दो प्रमुख द्रविड़ पार्टियों को मुश्किल में भी डाल देती थी लेकिन यह आवाज गुरुवार को हमेशा के लिए शांत हो गई। इससे उनके काडर और समर्थकों में शोक की लहर फैल गई है। Vijayakanth विजयकांत को पूर्व मुख्यमंत्रियों और राज्य के राजनीतिक दिग्गजों एम करुणानिधि और जे जयललिता को राजनीतिक क्षेत्र में चुनौती देने और उनके रहते जनता में अपनी पकड़ बनाने के साहस के लिए याद किया जाएगा।

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Vijayakanth विजयकांत को ‘करुप्पु एमजीआर’ (श्याम एमजीआर) उपनाम से भी जाना जाता है। वह शायद तमिलनाडु के इतिहास में एक ऐसे अद्वितीय नेता के रूप में जाने जाएंगे, जिन्होंने लगभग 18 वर्षों तक राजनीतिक क्षेत्र पर हावी रहकर अपनी सफलता की कहानी लिखी।ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) हो या भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), राजनीतिक दल 2005 में मदुरै में स्थापित उनकी पार्टी डीएमडीके को दोनों चुनाव के दौरान सत्तारूढ़ दल द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) से मुकाबला करने के लिए एक आदर्श ताकत के रूप में देखते थे। लेकिन हाल के दिनों में Vijayakanth विजयकांत के खराब स्वास्थ्य के कारण, संगठन एक क्षेत्रीय पार्टी के रूप में अपनी उपस्थिति बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है।

200 से अधिक तमिल फिल्मों के साथ-साथ राजनीति में भी उन्होंने गहरी छाप छोड़ी। भ्रष्टाचार या कदाचार का विरोध करने और गरीबों और पीड़ितों तक पहुंचने में उनकी निजी विशेषता थी। उन्होंने अपने पूरे 71 साल के जीवन में साफ-सुथरी छवि बनाए रखी और अपनी उदारता के लिए जाने जाते थे।विजयकांत की पार्टी छोड़ एआईएडीएमके में शामिल होने वाले एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘वह राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में उम्मीद की तरह उभरे। हमें बहुत उम्मीदें थीं कि ‘कैप्टन’ (विजयकांत को प्यार से कैप्टन कहा जाता था) पार्टी को जीत दिलाएंगे और मुख्यमंत्री बनेंगे। लेकिन उनके राजनीतिक करियर को झटका तब लगा जब उन्होंने AIADMK से गठबंधन तोड़ दिया।

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Vijayakanth‘विजयकांत को आखिरी बार सार्वजनिक रूप से चेन्नई में 14 दिसंबर को तब देखा गया जब प्रेमलता को डीएमडीके ने महासचिव पद के लिए चुना। तेलुगु भाषी नायडू समुदाय से आने के बावजूद, 25 अगस्त 1952 को जन्मे Vijayakanth विजयकांत की तमिल के तौर पर पहचान थी और तमिल लोग उन्हें बेहद गोरे, अन्नाद्रमुक संस्थापक (पूर्व मुख्यमंत्री एम जी रामचंद्रन) के विपरीत ‘करुप्पु एमजीआर’ (श्याम एमजीआर) कहते थे। उनका असली नाम नारायणन विजयराज अलगरस्वामी था।कैप्टन विजयकांत 2011-2016 तक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे। वह विरुधाचलम और ऋषिवंडियम निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हुए दो बार विधायक भी रहे।

Vijayakanth विजयकांत 1980 के दशक और बाद के वर्षों में की गई अपनी एक्शन फिल्मों के लिए खास तौर पर पसंद किए जाते थे। उन्हें उनकी 100वीं फिल्म ‘कैप्टन प्रभाकरण’ के लिए ‘कैप्टन’ उपनाम मिला। उन्हें ‘पुराची कलैग्नार’ का भी तमगा मिला। उन्होंने सुपरहिट फिल्म ‘वानाथाई पोला’ सहित अपनी फिल्मों के लिए राज्य और राष्ट्रीय पुरस्कार जीते। उनकी ‘रमना’, ‘वल्लारसु’, सिम्मासनम’, ‘वांचीनाथन’ और ‘नरसिम्हा’ फिल्मों को दर्शकों ने खूब सराहाडीएमडीके का 14 सितंबर, 2005 को औपचारिक रूप से गठन करने के बाद उनकी पार्टी ने 2006 का विधानसभा चुनाव लड़ा और वह अकेले विजेता रहे।

दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने खर्चों को पूरा करने के लिए धन जुटाने के बजाय अपनी पार्टी को अपने निजी धन से चलाया। तमिलनाडु विधानसभा के 2011 में हुए चुनाव के दौरान उन्होंने एआईएडीएमके संग गठबंधन किया और पार्टी की लड़ी गई 41 सीटों में से 29 पर जीत हासिल की जो डीएमके की विधानसभा में जीती गई सीटों से अधिक थीं।Curated by शशि मिश्रा |

Vijayakanth तमिल फिल्मों में एक्शन हीरो के पर्याय विजयकांत ने बड़े पर्दे पर भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई और राजनीति में उल्लखेनीय बदलाव किया। वह बहुत ही कम समय में तमिलनाडु के सियासी आसमान के चमकते सितारे भी बने जिससे समर्थकों में उनके राज्य का मुख्यमंत्री बनने की आस जगी लेकिन खराब स्वास्थ्य उन पर हावी होता गया। उनकी आवाज भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर थी और कभी-कभी राज्य की दो प्रमुख द्रविड़ पार्टियों को मुश्किल में भी डाल देती थी लेकिन यह आवाज गुरुवार को हमेशा के लिए शांत हो गई। इससे उनके काडर और समर्थकों में शोक की लहर फैल गई है।

18 साल तक तमिलनाडु में छाए रहे,Vijayakanth विजयकांत यूं ही नहीं थे सियासत के ‘कैप्टन’​18 साल तक छोड़ी अमिट छाप​​18 साल तक छोड़ी अमिट छाप​विजयकांत को पूर्व मुख्यमंत्रियों और राज्य के राजनीतिक दिग्गजों एम करुणानिधि और जे जयललिता को राजनीतिक क्षेत्र में चुनौती देने और उनके रहते जनता में अपनी पकड़ बनाने के साहस के लिए याद किया जाएगा।

Vijayakanth विजयकांत को ‘करुप्पु एमजीआर’ (श्याम एमजीआर) उपनाम से भी जाना जाता है। वह शायद तमिलनाडु के इतिहास में एक ऐसे अद्वितीय नेता के रूप में जाने जाएंगे, जिन्होंने लगभग 18 वर्षों तक राजनीतिक क्षेत्र पर हावी रहकर अपनी सफलता की कहानी लिखी।​पार्टी भी संकट में​​पार्टी भी संकट में​ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) हो या भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), राजनीतिक दल 2005 में मदुरै में स्थापित उनकी पार्टी डीएमडीके को दोनों चुनाव के दौरान सत्तारूढ़ दल द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) से मुकाबला करने के लिए एक आदर्श ताकत के रूप में देखते थे। लेकिन हाल के दिनों में विजयकांत के खराब स्वास्थ्य के कारण, संगठन एक क्षेत्रीय पार्टी के रूप में अपनी उपस्थिति बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा है।​

उदारता किसी से छिपी नहीं​​उदारता किसी से छिपी नहीं​200 से अधिक तमिल फिल्मों के साथ-साथ राजनीति में भी उन्होंने गहरी छाप छोड़ी। भ्रष्टाचार या कदाचार का विरोध करने और गरीबों और पीड़ितों तक पहुंचने में उनकी निजी विशेषता थी। उन्होंने अपने पूरे 71 साल के जीवन में साफ-सुथरी छवि बनाए रखी और अपनी उदारता के लिए जाने जाते थे।​करियर को लगा था बड़ा झटका​​करियर को लगा था बड़ा झटका​विजयकांत की पार्टी छोड़ एआईएडीएमके में शामिल होने वाले एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘वह राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में उम्मीद की तरह उभरे।

हमें बहुत उम्मीदें थीं कि ‘कैप्टन’ (विजयकांत को प्यार से कैप्टन कहा जाता था) पार्टी को जीत दिलाएंगे और मुख्यमंत्री बनेंगे। लेकिन उनके राजनीतिक करियर को झटका तब लगा जब उन्होंने AIADMK से गठबंधन तोड़ दिया।’​तेलुगु भाषी पर तमिल में लोकप्रिय​​तेलुगु भाषी पर तमिल में लोकप्रिय​विजयकांत को आखिरी बार सार्वजनिक रूप से चेन्नई में 14 दिसंबर को तब देखा गया जब प्रेमलता को डीएमडीके ने महासचिव पद के लिए चुना। तेलुगु भाषी नायडू समुदाय से आने के बावजूद, 25 अगस्त 1952 को जन्मे विजयकांत की तमिल के तौर पर पहचान थी और तमिल लोग उन्हें बेहद गोरे, अन्नाद्रमुक संस्थापक (पूर्व मुख्यमंत्री एम जी रामचंद्रन) के विपरीत ‘करुप्पु एमजीआर’ (श्याम एमजीआर) कहते थे। उनका असली नाम नारायणन विजयराज अलगरस्वामी था।

Vijayakanth विजयकांत का ऐसा रहा करियर vijayakanth ​​विजयकांत का ऐसा रहा करियर​कैप्टन विजयकांत 2011-2016 तक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे। वह विरुधाचलम और ऋषिवंडियम निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हुए दो बार विधायक भी रहे। विजयकांत 1980 के दशक और बाद के वर्षों में की गई अपनी एक्शन फिल्मों के लिए खास तौर पर पसंद किए जाते थे। उन्हें उनकी 100वीं फिल्म ‘कैप्टन प्रभाकरण’ के लिए ‘कैप्टन’ उपनाम मिला। उन्हें ‘पुराची कलैग्नार’ का भी तमगा मिला। उन्होंने सुपरहिट फिल्म ‘वानाथाई पोला’ सहित अपनी फिल्मों के लिए राज्य और राष्ट्रीय पुरस्कार जीते। उनकी ‘रमना’, ‘वल्लारसु’, सिम्मासनम’, ‘वांचीनाथन उनका राजनीतिक करियर तब चरम पर था जब वह 2011 से 2016 तक तमिलनाडु विधानसभा में विपक्ष के नेता बने. हाल के वर्षों में, विजयकांत का स्वास्थ्य खराब रहा1

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