Pandit Pradeep Mishra

Pandit Pradeep Mishra पशुपतिनाथ व्रत कैसे करें ( श्री शिवाय नमस्तुभयम )

Pandit Pradeep Mishra हम सभी Pandit Pradeep Mishra जी को सभी जानते हैं आज हम इनके बहुत ही खास पशुपति व्रत कैसे करे संपूर्ण जानकारी लेकर आए है दोस्तों इस व्रत को लेकर मन में बहुत सारी उलझनें होती हैं जिनसे आज आपकी सारी उलझनें खत्म हो जाएगी क्योंकि आज हम आपको बिलकुल आसन सी भाषा में बताने वाले है।

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Pandit Pradeep Mishra पशुपति व्रत कैसे करे

पशुपतिनाथ का व्रत करने से पूर्व भक्तों को यह जानकारी होना चाहिए कि व्रत करने का उद्देश्य मात्र भूखा रहना नहीं है अपितु भक्त उपवास को प्राथमिकता इसलिए दे रहा है ताकि वह अपने जीवन में आध्यात्मिक उन्नति कर सकें।

Pandit Pradeep Mishra पशुपति नाथ जी की कथा

शिव महापुराण और रूद्र पुराण में कई बार वर्णन आता है कि जो भक्त पशुपतिनाथ जी की कथा का श्रवण करता है , श्रवण मात्र से उसके सारे पापों का अंत हो जाता है, उसे असीम आनंद की प्राप्ति होती है और वह शिव का अत्यधिक प्रिय बन जाता है।एक समय की बात है जब शिव चिंकारा का रूप धारण कर निद्रा ध्यान में मग्न थे।उसी वक्त देवी-देवताओं पर भारी आपत्ति आन पड़ी, और दानवों और राक्षसों ने तीन लोक में, स्वर्ग में त्राहि-त्राहि मचा दी तब देवताओं को भी यह स्मरण था कि इस समस्या का निदान केवल शंकर ही कर सकते हैं।इसलिए वह शिव को वाराणसी वापस ले जाने के प्रयत्न करने के लिए शिव के पास गए।

परंतु जब शिव ने सभी देवी देवताओं को उनकी और आते हुए देखा तो शिव ने नदी में छलांग लगा दी।छलांग इतनी तीव्र थी कि उनके सिंग के चार टुकड़े हो गए।इसके पश्चात भगवान पशुपति चतुर्मुख लिंग के रूप में प्रकट हुए और तभी से पशुपतिनाथ जी की पूजा और व्रत करने का विधान आया।

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Pandit Pradeep Mishra पशुपति व्रत करने की विधि (पशुपति व्रत कैसे करे)

जिस तरह से देवी देवताओ ने भगवान शंकर को प्रसन्न किया था उस विधि का वर्णन शिव महापुराण और रूद्र पुराण में किया गया है। इन पुराणों के अनुसार पशुपतिनाथ व्रत करने का प्रमुख उद्देश्य भगवान शिव को प्रसन्न करना ही होता है इस व्रत को करने के लिए निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखना होता है।

सर्वप्रथम यह ध्यान रखना है कि पशुपतिनाथ जी का व्रत सोमवार को ही किया जाता है। इस व्रत को करने के लिए सभी भक्तों को ब्रह्म मुहूर्त में उठना अति आवश्यक है।ब्रह्म मुहूर्त में उठने के उपरांत स्नान आदि करके साफ-सुथरे वस्त्रो को धारण करना आवश्यक है।इसके साथ ही भक्तों को निरंतर अपने मुख से या फिर अपने मन में ही “श्री शिवाय नमस्तुभयम” का जाप करते रहना है।

पशुपतिनाथ की पूजा करने के लिए थाली में कुमकुम, अबीर, गुलाल, अश्वगंधा, पीला चंदन, लाल चंदन और थाली में कुछ चावल के दाने रखें, यहाँ पर यह ध्यान रखना है कि चावल के दाने खंडित ना हो।इसके साथ ही पूजा की थाली में धतूरा और आंकड़ा के फूलों या फलों को भी रख लेना है। लेकिन बहुत से भक्त यह सोंचते है कि यदि सम्पूर्ण पूजा सामग्री एकत्रित नही हो पाती है तो पशुपतिनाथ का व्रत अधूरा रह जायेगा और भगवान शिव हम से प्रसन्न नहीं होंगे

लेकिन भोलेनाथ के भक्तों को यह चिंता अपने मन से निकाल देनी है।क्योंकि जिस प्रकार से एक पिता अपने पुत्र की चिंता करता है उसी प्रकार से भगवान शिव अपने भक्तों की चिंता रखते हैं, उन्हें प्रसन्न करने के लिए भक्तों को बहुत कठिन परिश्रम नहीं करना है अगर एक लोटा जल भी हमने भोलेनाथ को प्रेम से अर्पित किया है तो वह ही बहुत है।इसलिए जितनी भी पूजा सामग्री आप एकत्रित कर सकते है उसी पूजा सामग्री से पशुपतिनाथ जी की पूजा कर सकते है।

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Pandit Pradeep Mishra जी की पूजा सुबह और शाम दोनों समय की जाती है इसलिए पूजा की सामग्री की मात्रा इतनी अधिक रखनी है जिससे दोनों समय की पूजा के लिए सामग्री पर्याप्त बनी रहे।पूजा की थाली में पूजा की सामग्री और बेलपत्र आदि लेकर अपने मन में श्री शिवाय नमस्तुभयम का निरंतर जाप करते हुए मंदिर में प्रवेश करें।

मन्दिर के अन्दर जाने पर अगर शिवलिंग के आसपास सफाई नहीं है तो सबसे पहले भक्तों को मन्दिर के अन्दर और शिवलिंग के आसपास सफाई करनी चाहिए।मन्दिर और शिवलिंग के आसपास सफाई करने के बाद सभी पूजा सामग्रियों का इस्तेमाल करते हुए शिवलिंग का पूजन शुरू करें और शिवलिंग पर जल और बेलपत्र अर्पित करें।शिवलिंग का अभिषेक शुरू करते समय यह स्मरण रखना चाहिए कि शिवलिंग का अभिषेक सबसे ऊपरी भाग पर जल डालकर ही शुरू करें।

भगवान पशुपतिनाथ जी को अर्पित करने के लिए जो भी प्रसाद भक्तों ने श्रद्धा पूर्वक बनाया है उस प्रसाद को जलधारी में ना रखें।बेलपत्र पूजा सामग्री का मुख्य अभिन्न भाग है और कई बार बेलपत्र भक्तों को उपलब्ध नहीं हो पाता है ऐसी स्थिति में जो बेलपत्र शिवलिंग पर पहले से चढ़े हुए है उन्ही बेलपत्रों को साफ करके भी शिवलिंग को अर्पित किया जा सकता है।

इस तरह से सुबह की पूजा करनी है और पूजा के बाद पशुपतिनाथ की आरती करनी है और शाम को भी यही प्रक्रिया अपनाकर पुनः पूजा और आरती करनी है।इसके साथ ही पूजा की थाली में 6 दिये (दीपक) रखने है, और उन 6 दिये में से 5 दिये मंदिर में प्रज्वलित करना है और बचा हुआ एक दिया अपने घर के दरवाजे के बाहर दाई तरफ प्रज्वलित करना है।

Pandit Pradeep Mishra पशुपति व्रत में किस प्रकार से उपवास करें

पशुपति व्रत करते समय हमे यह स्मरण रखना चाहिए कि यह व्रत हम शंकर को प्रसन्न करने के लिए कर रहे हैं, इसलिए व्रत करते समय हमें भोजन करने का ध्यान ना करते हुए “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” मंत्र का जप करना चाहिए।सुबह-सुबह हम सभी को फलाहार लेना चाहिए और शाम को पशुपति नाथ जी की पूजा होने के पश्चात ही भोजन ग्रहण करना चाहिए।लेकिन शाम को भोजन के पहले सभी को प्रसाद ग्रहण करना चाहिए, उसके बाद ही भोजन ग्रहण करना चाहिए

परंतु भक्तों को यह ध्यान रखना चाहिए कि प्रसाद सबसे पहले उस व्यक्ति को मिले जिसने पशुपतिनाथ का उपवास रखा है, फिर उस प्रसाद को परिवार के अन्य सदस्यों को देना चाहिए।

Pandit Pradeep Mishra किन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है?

Pandit Pradeep Mishra भगवान शिव को पंचानंद भी कहा जाता है इसलिए जब हम भगवान शंकर की पूजा अर्चना करते है तो हमें पांच दियों को अवश्य प्रज्वलित करना चाहिए हैं, और पूजा अर्चना करते समय ही अपनी सभी इच्छाएं भगवान शिव के सामने प्रकट कर देना चाहिए.

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Pandit Pradeep Mishra पशुपतिनाथ व्रत का उद्यापन करने की विधि

जब आप सफलतापूर्वक कम से कम पांच व्रत कर ले, और इसके बाद यदि आप उद्यापन करना चाहते हैं तो पशुपतिनाथ के व्रत का उद्यापन करने की विधि शुरू कर सकते है।शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को 5 सोमवार तक करना जरूरी होता है तभी इस व्रत का मनोवांछित फल मिलता है।

5 सोमवार व्रत करने के बाद आप अगले किसी सोमवार को इस व्रत का उद्यापन कर सकते है जिस सोमवार को आप उद्यापन करने जा रहे है, उस दिन आपको सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके पूजा की थाली में पूजा का समस्त रखकर पूजा की थाली को तैयार करना है।परंतु उद्यापन के लिए पूजा की थाली में 108 वस्तुएं रखना है चाहे वह मूंग हो चावल हो मखाने या आदि।

Pandit Pradeep Mishra अगर किसी कारण बस 108 वस्तुएं नहीँ मिल पाती हैं तो जितनी ही वस्तुएं उपलब्ध हो जाएं, भक्त उतनी ही वस्तुओं को लेकर श्रद्धा पूर्वक थाली में एकत्रित कर सकता है।उद्यापन के दिन भी व्रत की तरह ही सुबह और शाम को पशुपतिनाथ जी की पूजा करनी है और पूजा करने के बाद पुरोहित और मन्दिर को दान देना है।

उद्यापन के दिन प्रसाद थोड़ा ज्यादा बनाना चाहिए जिससे अधिक से अधिक लोगों को प्रसाद बांटा जा सके।पशुपति व्रत करने में यदि बाधाएं आए तो क्या करेंअगर किन्ही परिस्थितियों के कारण हम किसी सोमवार को व्रत नही कर पाते है तो इस व्रत को हम अगले सोमवार को कर सकते है।

अगर कोई महिला व्रत कर रही है और उसमे माहवारी का दौर शुरू हो जाता है तो वह महिला इस व्रत को अगले सोमवार को कर सकती है। और इस तरह उसका व्रत खंडित नही होता है।

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