क्या जिसको लड़की प्यार कहती है या लड़का जिसको प्यार कहता है स्त्री और पुरुष के प्रेम में बड़ा अंतर होता है एक तरह से आप यह कह सकते हो कि स्त्री और पुरुष का प्रेम बिल्कुल एक दूसरे से विपरीत है पुरुष का प्रेम गति का प्रतीक होता है, उसका प्रेम चंचलता का प्रतीक है और वहीं स्त्री का प्रेम स्थिरता का प्रतीक है।
आप इस तरह से समझ सकते हो कि पुरुष प्रेम के सागर में कुछ सोचे समझे बिना ही छलांग लगा है लेकिन स्त्री का प्रेम स्थिर और शांत होता है वह प्रेम के सागर में बहुत सोच समझ कर धीरे से उतरती है।
जब किसी पुरुष को किसी स्त्री से प्रेम होता है तो उसके भीतर प्रेम का तूफान उठ जाता है और वह तूफान उसे कही चैन से बैठने नहीं देता है प्रेम होने की स्थिति में पुरुष बेक़रार हो जाता है स्त्री को अपने दिल की बात बताने के लिए, उन तक पहुंचाने के लिए वह कुछ भी करेगा पर इसके ठीक विपरीत स्त्री ऐसे समय में जल्दी बेक़रार नहीं होती वह वह चीजें समझने के लिए खुद को समय देती है।
वह सब कुछ संयम से करती है लेकिन जैसे ही कोई स्त्री किसी पुरुष को स्वीकार कर लेती है वह अपने आप को विजेता समझता है यहां पर वह पूरी तरह से अपने प्रेम के लिए संतोष मान लेता है।
पुरुष के प्रेम का स्वभाव चंचल होता है जिस कारण वह बहुत ही जल्दी स्त्री के प्रेम से ऊब जाता है लेकिन जो स्त्री किसी पुरुष के प्रेम को एक बार स्वीकार करती है तो हमेशा के लिए और सम्पूर्णता से उसको स्वीकार कर लेती है स्त्री एक पुरुष के प्रेम में पड़ने के बाद उसे खोना नहीं चाहती, उससे अलग होना नहीं चाहती क्योंकि उनके प्रेम का स्वभाव है ठहरना।
पुरुष के चंचल प्रेम का यह स्वभाव होता है कि जब वह किसी स्त्री को पाना चाहता है उस समय पर वह कुछ भी कर सकता है लेकिन स्त्री शुरू में किसी पुरुष के प्रेम को जीतने के लिए, उसको पाने के लिए कुछ भी नहीं करेगी वह उस पुरुष के प्रेम का इंतजार करेगी लेकिन एक बार किसी पुरुष का प्रेम उसके जीवन में आता है तो उसे संभाल के रखने के लिए स्त्री कुछ भी कर सकती है।
किसी पुरुष को जब प्रेम होता है वह पूरे दिल से प्यार करता है पूरे जुनून से प्यार करता है और वफादार भी होता है पर देखा जाता है की अपने प्रेम को पा लेने के बाद वह थोड़ा लापरवाह हो जाता है वहीं जब किसी स्त्री को किसी पुरुष का प्रेम मिल जाता है।
उसके बाद वह पुरुष उससे प्रेम करें या ना करें, उसकी ओर पहले जैसा लगाव रखे या ना रखे, अगर वह किसी पुरुष को अपना बनाती है उसके बाद जीवन भर उससे प्रेम करती है आप यह कह सकते हो कि प्रेम की शुरुआत पुरुष करता है लेकिन उसका अंत अर्थात आखरी भाग स्त्री पर जाकर खत्म होता है।
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