Hariyali Teej 2023 जानें हरियाली तीज कब है और क्या हैं इस व्रत की कथा

Hariyali Teej 2023: हरियाली तीज का व्रत सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। इस वर्ष हरियाली तीज का व्रत 19 अगस्त 2023 को रखा जाएगा। महिलाओं के लिए यह व्रत बहुत खास होता है।

महिलाएं अपने पति के दीर्घायु और वैवाहिक जीवन को सफल बनाने के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान शिव के साथ माता पार्वती की विधिवत पूजा-पाठ करती हैं। कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठिन तपस्या की थी। आइए जानते हैं हरियाली तीज व्रत की संपूर्ण कथा के बारे में-

Hariyali Teej 2023: हरियाली तीज का व्रत सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है। इस वर्ष हरियाली तीज का व्रत 19 अगस्त 2023 को रखा जाएगा। महिलाओं के लिए यह व्रत बहुत खास होता है।

Hariyali teej 2023
Hariyali teej 2023

महिलाएं अपने पति के दीर्घायु और वैवाहिक जीवन को सफल बनाने के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान शिव के साथ माता पार्वती की विधिवत पूजा-पाठ करती हैं। कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठिन तपस्या की थी। आइए जानते हैं हरियाली तीज व्रत की संपूर्ण कथा के बारे में-

हरियाली तीज की कथा (Hariyali Teej Vrat Katha)

हरियाली तीज के त्योहार के पीछे माता पार्वती की कठोर तपस्या और भगवान शिव से उनके मिलन की कथा है। ऐसा माना जाता है कि देवी सती ने माता पार्वती के रूप में पर्वत राज हिमालय के घर पुनर्जन्म लिया था। माता पार्वती हमेशा से ही भगवान शिव को वर के रूप में पाना चाहती थीं। माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए तप किया। एक बार नारद मुनि हिमालय के घर पहुंचे और उनसे कहा कि देवी पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु उनसे विवाह करना चाहते हैं।

पर्वत राज हिमालय को नारद मुनि की बात अच्छी लगी और वह तुरंत भगवान विष्णु से अपनी पुत्री के विवाह के लिए तैयार हो गए। इसके बाद नारद मुनि भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उनसे कहा कि पर्वत राज हिमालय अपनी पुत्री पार्वती का विवाह आपसे करना चाहते हैं। नारद मुनि की बात सुनकर भगवान विष्णु ने भी इस विवाह के लिए सहमति जता दी। दोनों से बात करने के बाद नारद मुनि भगवान माता पार्वती के पास पहुंच गए और उनसे कहा कि उनके पिता हिमालय ने उनका विवाह भगवान विष्णु से तय कर दिया है।

माता पार्वती बचपन से ही भगवान शिव को पति के रुप में पाना चाहती थीं। इसलिए यह सुनकर वह चिंतित हो उठीं और दोबारा से उन्होंने कठोर तप करने का निश्चय किया।

वह जंगल में चली गईं। उन्होंने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और उपवास करते हुए शिव जी की कठोर तपस्या की। माता पार्वती की इस तपस्या से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न हो गए और उनकी मनोकामना पूरी करने का वचन दिया। जब इस बात का पता पर्वत राज हिमालय को हुआ कि उनकी पुत्री भगवान भोलेनाथ को चाहती है तो पर्वत राज इस विवाह से राज़ी हो गए। भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह पूरे विधि-विधान से किया गया।

जानें महिलाओं के लिए क्यों खास है हरियाली तीज

कहा जाता है कि जब भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह संपन्न हो गया तो भोलेनाथ ने कहा कि हे पार्वती हमारा विवाह तुम्हारी कठोर तपस्या से ही संपन्न हो पाया है। जो भी स्त्री इस व्रत को पूरी श्रद्धा और निष्ठा से करेगी उसे तुम्हारी तरह अचल सुहाग की प्राप्ति होगी। इस व्रत को सच्चे मन से पूर्ण करने से मनचाहा फल मिलता है। व्रत रखने और विधि-विधान से पूजा करने से माता पार्वती और शिव जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस त्योहार में सुहागिन स्त्रियां व्रत रखती हैं ताकि अपने पति की लंबी आयु और वैवाहिक जीवन की सुख-शांति की कामना करती हैं। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top