किसान मांग रहे है सिर्फ एक मांग सरकार से , मान ले तो किस चीज का आंदोलन

आज हम आपको बहुत ही खास जानकारी देने जा रहे है केन्द्रीय कृषि मंत्री ने तीन दिसंबर को केवल पंजाब के किसानों को बातचीत के लिए बुलाया है। अब यह कोई बात हुई कि आज पंजाब के संगठन से बात करेंगे तो कल हरियाणा, फिर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और फिर बाकी अन्य राज्यों के? हर राज्य और हर संगठन के प्रतिनिधि से एक साथ बातचीत क्यों नहीं हो सकती।

सिंघु बार्डर पर आ जमे किसानों ने अपनी मांगों को लेकर हुंकार भरनी शुरू कर दी है। इस बीच किसान नेता सरदार वीएम सिंह ने कहा कि हमारी केन्द्र सरकार से केवल एक मांग है। वह मान ले तो काहे का किसान आंदोलन। एआईकेएससीसी के बैनर तले किसानों का मुद्दा उठाने वाले वीएम सिंह कहते हैं कि सरकार केवल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद सुनिश्चित करा दे।

किसानों की आवाज उठाने वाले चौधरी पुष्पेन्द्र सिंह ने भी कहा कि सरकार एमएसपी पर खरीद करा दे तो दिक्कत ही क्या है?

अमर उजाला से विशेष बातचीत में वीएम सिंह ने कहा कि सरकार केवल यह सुनिश्चित कर दे कि कारोबारी, कंपनी, कोई व्यक्ति या सरकार की संस्थाएं जो भी किसान के उपज की खरीद करेगी, वह न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही होगी। जो भी इससे कम दाम में किसान की उपज खरीदेगा, वह जेल जाएगा और यह अपराधिक कृत्य में आएगा।

सरदार वीएम सिंह की इस मांग का समर्थन करते चौधरी पुष्पेन्द्र सिंह ने कहा कि सरकार ने अपने तीन विधेयकों में कोई प्रावधान खत्म नहीं किया तो उसे एमएसपी पर खरीद सुनिश्चित कराने में क्या दिक्कत है। एमएसपी तो पहले से ही न्यूनतम दर की होती है।

चौधरी पुष्पेन्द्र सिंह का कहना है कि धान का समर्थन मूल्य 1268 रुपये प्रति क्विंंटल है। वीएम सिंह कहते हैं कि पूरे देश में किसानों का मक्का 600-700 रुपये प्रति क्विंटल और धान 1100-1200 रुपये प्रति क्विंटल में बिका है। अब आप ही बताइए किसान क्या करे?

वीएम सिंह का कहना है कि सरकार तो किसानों और उनके संगठनों में फूट डालने, उन्हें पराया समझकर सौतेला व्यवहार करने में लगी है। वीएम सिंह का कहना है कि 26-27 को किसानों की मांगों को लेकर प्रदर्शन का आह्वान हमने किया था। कोविड-19 संक्रमण के कारण मुझे स्वास्थ्य लाभ लेना पड़ा, लेकिन सरकार ने क्या किया?

पंजाब से चले किसानों पर हरियाणा सरकार पानी की बौछार करा रही है। पुलिस और सुरक्षा बल रास्ते को अवरुद्ध कर रहे हैं, बैरिकेटिंग कर रहे हैं और रास्ता खोदने में लगे हैं। आखिर इससे क्या होने वाला है। सरकार ने अभी किसानों के आंदोलन के लिए जो बुराड़ी में जगह दी है, वह पहले भी दे सकती थी। उन्हें अपनी बात रखने के लिए शांतिपूर्ण तरीके से आने देती। आखिर किसान भी देश के नागरिक हैं।

वीएम सिंह ने कहा कि पिछली बैठक में भी सरकार की मंशा ठीक नहीं लग रही थी। कोई भी निर्णय नहीं हो पाया था। अभी भी ठीक नहीं लग रही है। केन्द्र सरकार फूट डालने, मामले को टालने की रणनीति पर चल रही है। जबकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसानों के मुद्दे पर संवेदनशीलता दिखाते हैं।

सरदार किसान नेता ने कहा कि केन्द्रीय कृषि मंत्री ने तीन दिसंबर को केवल पंजाब के किसानों को बातचीत के लिए बुलाया है। अब यह कोई बात हुई कि आज पंजाब के संगठन से बात करेंगे तो कल हरियाणा, फिर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और फिर बाकी अन्य राज्यों के? हर राज्य और हर संगठन के प्रतिनिधि से एक साथ बातचीत क्यों नहीं हो सकती?

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