दीवाली पर Tanishq ने फिर परोसा हिंदू विरोधी प्रोपेगेंडा, बोला नही जलाने चाहिए पटाखें

दीवाली पर सबसे ज़्यादा पटाखों का ही महत्व है ज्वैलरी ब्रांड तनिष्क ने अपने विवादित विज्ञापन के बाद दीवाली के अवसर पर नया ऐड तैयार किया है। इस ऐड में भी उन्होंने अपने प्रचार के नाम पर हिंदू विरोधी प्रोपगेंडा परोसा है जिसकी वजह से सोशल मीडिया पर एक बार फिर बॉयकॉट तनिष्क ट्रेंड करने लगा है।

इस ऐड में दीवाली के नाम पर सिर्फ़ कुछ महिलाएँ नजर आ रही हैं जो हल्के रंग की साड़ियों में हैं और तनिष्क के आभूषण धारण करके बता रही हैं कि इस दीवाली पर क्या-क्या किया जाना चाहिए और क्या-क्या नहीं। इस पर चर्चा हो रही है।

परंपरागत श्रृंगार के नाम पर महिलाओं ने सिर्फ़ तनिष्क की ज्वैलरी ही पहनी है। विज्ञापन में न दीवाली पूजा से संबंधित कुछ नजर आ रहा है और न ही कुछ उसकी महत्ता से संबंधित। वहीं बैकग्राउंड की बात करें तो उसमें भी सामान्य लाइटिंग है, कोई दीया या कोई साज-सज्जा नहीं है। ऐड शुरू होते ही एक महिला इसमें कहती है, “यकीनन कोई पटाखे नहीं। मुझे नहीं लगता किसी को पटाखे जलाने चाहिए।” इसके बाद दो-तीन महिलाएँ अपनी बातें रखती हैं और अंत में इकट्ठा होकर खिलखिलाती नजर आती हैं। बस ऐड खत्म।

अब इस ऐड को लेकर कई तरह के सवाल लोगों के मन में हैं। लोगों का पूछना है कि आखिर क्या जिस तरह से दीवाली में पटाखे जलाने को मना किया जाता है उसी प्रकार क्या क्रिसमस पर न क्रिसमस ट्री लगाने की या फिर बकरीद पर जानवरों की कुर्बानी न देने की अपील भी की जाती है? या यह सब सिर्फ़ हिंदुओं को निशाना बनाने का एक तरीका है? इस अहम सवाल उठ रहे है।

सोचने वाली है बात है कि यह प्रचार दीवाली के लिए निर्मित हुआ है। यदि मान भी लिया जाए कि तनिष्क का प्रोपेगेंडा हिंदू विरोधी नहीं है तो फिर इसमें दीये, कैंडल्स, रंगोली, मिठाई, पूजा की थाली आदि चीजें कहाँ हैं? जो आमतौर पर दीवाली के मौके पर हर घर की शोभा बढ़ाते हैं। क्या दीवाली का मतलब सिर्फ़ तनिष्क का सोना पहनना होता है?

आज से 6 साल पहले भी तनिष्क हर त्योहार पर अपने प्रचार बनाता था, लेकिन तब फर्क बस ये था कि उनका मकसद प्रोपेगेंडा फैलाना नहीं होता था। साल 2014 के दीवाली ऐड में और आज 2020 के विज्ञापन में फर्क देखिए।

इसी तनिष्क के ऐड से उत्पाद का विज्ञापन गायब है और हिंदुओं के त्योहार को लक्षित करते हुए प्रोपेगेंडा प्रमुखता से दिखाया जा रहा है। ऐसे में लोगों का कहना बस यह है कि तनिष्क या तो हिंदुओं को बेवकूफ समझना अब बंद करे या फिर अपनी ऐड फर्म से कॉन्ट्रैक्ट तोड़े, जिनका मकसद एक बने बनाए ब्रांड इमेज को खराब करना मात्र रह गया है।

कुछ लोग ऐसे प्रयासों को हिंदू त्योहारों का इस्लामीकरण करना भी बता रहे हैं। उनका कहना है कि क्या कभी हिंदुओं में बिना बिंदी या चुनरी के दीवाली मनाते किसी ने किसी को देखा है? दीवाली ऐसे हु नही मनाई जाती है। Tanishq के इस ऐड में कोई पूजा की थाली नहीं है, न ही कहीं भगवान राम का जिक्र है, आखिर किस आधार पर यह विज्ञापन दीवाली के लिए तैयार हुआ है? और इस ऐड के पीछे सच क्या है।

आपको कैसी लगी जानकारी हमें जरूर बताएं ऐसी ही नई नई जानकारी पाने के लिए हमें फ़ॉलो जरूर करें।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top