Monkeypox : मंकीपॉक्स का पहला मरीज मिला गुजरात मे, केंद्र ने बुलाई बैठक बढ़ते जा रहे है मामले

दिन पर दिन मंकी पॉक्स बढ़ता ही जा रहा है गुजरात ( Monkeypox) में मंकीपॉक्स का पहला संदिग्ध मामला सामने आया है और एक व्यक्ति में इस वायरल संक्रमण के लक्षण दिखे हैं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

Monkeypox
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उन्होंने कहा कि संदिग्ध व्यक्ति के नमूनों को जांच के लिए भेज दिया गया है।

एमपी शाह राजकीय मेडिकल कॉलेज की डीन डॉक्टर नंदिनी देसाई ने कहा कि जामनगर जिले के नागना गांव के निवासी 29 वर्षीय रोगी को फिलहाल शहर में स्थित जीजी अस्पताल में बनाए गए विशेष वार्ड में भर्ती किया गया है एमपी शाह राजकीय मेडिकल कॉलेज जीजी अस्पताल से संबद्ध है।

अलग वार्ड में भर्ती कराया गया मरीज को

देसाई ने कहा, ”चूंकि उसमें तेज बुखार जैसे मंकीपॉक्स के लक्षण दिखाई दे रहे थे, इसलिए हमने पुष्टि के लिए उसके नमूने अहमदाबाद की एक प्रयोगशाला में भेजे हैं मरीज को अस्पताल के एक पृथकवास वार्ड में भर्ती कराया गया है.”

केंद्र ने बुलाई बड़ी बैठक

देश में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों के बीच इस बीमारी से निपटने को लेकर दिशा निर्देशों पर पुनर्विचार करने के लिए केंद्र ने बृहस्पतिवार को शीर्ष स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक बैठक बुलाई देश में मंकीपॉक्स के अब तक नौ मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से एक मरीज की मौत हो गयी है एक अधिकारी ने बताया, ”यह मौजूदा दिशा निर्देशों पर पुनर्विचार के लिए की गयी एक तकनीकी बैठक थी.”

अधिकारियों ने दिए अहम निर्देश

बैठक की अध्यक्षता आपात चिकित्सा राहत के निदेशक डॉ. एल. स्वस्तिचरण ने की और इसमें राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रतिनिधि शामिल हुए. केंद्र द्वारा ”मंकीपॉक्स बीमारी के प्रबंधन पर जारी दिशा निर्देशों” के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति ने पिछले 21 दिनों के भीतर प्रभावित देशों की यात्रा की है और उसके शरीर पर लाल चकत्ते पड़ने, लसिका ग्रंथियों में सूजन, बुखार, सिर में दर्द, शरीर में दर्द और बहुत ज्यादा कमजोरी जैसे लक्षण दिखायी देते हैं तो उसे ‘संदिग्ध’ माना जाएगा।

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डब्ल्यूएचओ ने हाल में मंकीपॉक्स को वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति घोषित किया था मंकीपॉक्स जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाला संक्रमण है और इसके लक्षण चेचक जैसे होते हैं किसी मरीज से अंतिम संपर्क के 21 दिनों तक उसके संपर्क में आए लोगों के लक्षणों पर नजर रखी जानी चाहिए बुखार होने की स्थिति में प्रयोगशाला में इसकी जांच की जानी चाहिए।

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