क्यो बुढ़ापे में संतान अपने माता पिता को छोड़ कर चली जाती है

कुछ वजह होती है जिसके कारण बुढ़ापे में बच्चे माता पिता को छोड़ कर चले जाते है शिवपुराण में माता पार्वती और भगवान भोलेनाथ के बीच के संवाद का वर्णन बड़े ही विस्तार में किया गया है इसी संवाद के कारण कई तरह की विद्याओं का ज्ञान मनुष्य सभ्यता को हो सका एक बार माता पार्वती ने जिज्ञासावश भगवान शिव से प्रश्न किया कि हे प्रभु मनुष्य ऐसा कौन सा पापकर्म अपने पूर्वजन्म में करता है जिस कारण उसे अपनी वृद्धावस्था में संतान वियोग का सामना करना पड़ता है।

इसपर भोलेनाथ ने देवी पार्वती को बताया कि प्रत्येक पापकर्म के लिए किसी न किसी दंड का प्रावधान है, जिसे भोगकर मनुष्य पश्चाताप करता है और उसकी आत्मा पुनः शुद्ध होती है जो मनुष्य अपने वर्तमान में अथवा अपने पूर्वजन्म में किसी दुर्बल पर अत्याचार करता है या अपनी शक्ति के प्रभाव से किसी निर्दोष को बंदी बनाकर परिवार से पृथक करता है।

ऐसे मनुष्य को प्रायश्चित के रूप में संतान वियोग का सामना करना पड़ता है यह संतान वियोग उसके द्वारा किये गये पाप के आधार पर क्षणिक अथवा सम्पूर्ण जीवन तक हो सकता है प्रार्थना और अनुष्ठान के कारण इस पाप को अगले जन्म तक के लिए टाला भी जा सकता है किन्तु समाप्त नहीं किया जा सकता है।

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