किसान आंदोलन नही बुझेगी ये चिंगारी, जहाँ रोकेंगे, वही रुकेंगे

हम सभी जानते है कि दिल्ली में आंदोलन लंबा चलता है तो कोई चिंता नहीं है। यहां भी अधिकांश आबादी गांवों से आकर बसी है। वे किसान परिवार से ही आते हैं। ऐसे में किसान यहां भूखा नहीं मरेगा। दिल्ली वाले भरपेट खिलाएंगे।

केंद्र सरकार के बनाए कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब, यूपी, हरियाणा, राजस्थान और दूसरे राज्यों के हजारों किसानों ने ‘दिल्ली चलो’ मार्च प्रारंभ किया है। कई जत्थे दिल्ली सीमा और उसके आसपास पहुंच चुके हैं। हर राज्य में किसानों की टोली को रोका जा रहा है।

किसान संगठनों के नेताओं को भी पुलिस पकड़ रही है। किसान संगठनों का कहना है कि किसान मार्च महज एक आंदोलन नहीं रहा, अब ये चिंगारी बन चुका है।

इस चिंगारी को रोकने का प्रयास न करें। जहां भी किसानों को रोकेंगे, वहीं तंबू लगेगा।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के सदस्य अविक साहा ने आगे कहा, हम दिल्ली वालों को जानते हैं। हालांकि सभी किसान अपना पेट भरने के लिए साथ में राशन पानी लाएं हैं। दिल्ली में आंदोलन लंबा चलता है तो कोई चिंता नहीं है। यहां भी अधिकांश आबादी गांवों से आकर बसी है। वे किसान परिवार से ही आते हैं। ऐसे में किसान यहां भूखा नहीं मरेगा। दिल्ली वाले भरपेट खिलाएंगे।

गुरुद्वारों ने तो पहले से ही किसानों के लिए भोजन के विशेष इंतजाम कर रखे हैं। अविक साहा ने बताया, अभी तक किसान मार्च शांतिपूवर्क तरीके से आगे बढ़ता रहा है। कहीं भी किसानों के मार्च को लेकर कोई अप्रिय घटना नहीं हुई है। यह अलग बात है कि हरियाणा जैसे राज्य में किसानों पर पानी की बौछार की गई। बल प्रयोग भी किया गया है। अब दिल्ली पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए कई तरह की चेतावनी जारी की है। देखिये किसान तो दिल्ली जाएगा ही।

ये मत सोचिये, कि दो तीन राज्यों से किसान आ रहे हैं। अब किसान मार्च एक चिंगारी में बदल चुका है। तमिलनाडु, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल सहित अनेक राज्यों से किसानों के जत्थे दिल्ली मार्च में शामिल होने के लिए निकल पड़े हैं। किसानों को रेलवे प्लेटफार्म पर नहीं जाने दिया जा रहा है। जब उन्हें ट्रेन में चढ़ने से रोका गया तो किसानों ने पैदल चलना शुरू कर दिया।

पुलिस के दबाव में आकर किसान वापस नहीं जाएंगे, ये तय हो चुका है। जहां भी रोका जाएगा, वहीं पर लंगर शुरू कर देंगे। उन्होंने सरकार से पूछा कि देश में कोरोना के दौरान कितने किसान मारे गए हैं, ये अंदाजा है किसी को। नहीं है, लेकिन ये सच है। अपने इस दावे को पुख्ता करते हुए अविक साहा कहते हैं कि रोजाना ही कहीं न कहीं किसान की मौत हो रही है। कोई बीमारी से मर रहा है तो कहीं भूख मौत बनकर आई है।

ये एक अनिश्चितकालीन आंदोलन है। इसे केवल एक-दो दिन का आंदोलन न समझें। केंद्र और राज्य सरकारें, किसानों के आंदोलन को रोकने की बड़ी गलती कर रहे हैं। जब तक किसानों के हितों के साथ खिलवाड़ करने वाले कानून वापस नहीं होंगे, तब तक आंदोलन चलता रहेगा।

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