करवाचौथ पर छलनी से चाँद को क्यों देखती है महिलाएं हम आपको बताते है

ऐसा माना जाता है कि करवा चौथ की पूजा जब तक पूरी नहीं मानी जाती है जब तक सुहागिन महिलाएं छलनी से चांद को नहीं देख लें इसी वजह से करवा चौथ में छलनी का खास महत्व होता है इस साल करवा चौथ का व्रत शनिवार के दिन 27 अक्टूबर को आ रहा है अक्सर महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ व्रत रखती है इस दिन शाम को महिलाएं छलनी की पूजा करके चंद्रमा को देखते हुए मंनत मांगती है कि उनका सौभाग्य और सुहाग सलामत रहे।

चांद को छलनी से देखने की पौराणिक कथा

इस दिन छलनी से चांद देखने के पीछे एक पौराणिक मान्यता है वीरवती नाम की एक सुंदर लडक़ी थी। वो अपने सात भाईयों की इकलौती बहन थी उसकी शादी एक राजा से हो गई शादी के बाद पहले करवा चौथ के मौके पर वो अपने मायके आ गई उसने भी करवा चौथ का व्रत रखा लेकिन पहला करवा चौथ होने की वजह से वो भूख और प्यास बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। वह बेताबी से चांद के उगने का इंतजार करने लगी उसके सातों भाई उसकी ये हालत देखकर परेशान हो गए वह अपनी बहन से बहुत ज्यादा प्यार करते थे उन्होंने वीरवती काव्रत समाप्त करने की योजना बनाई और पीपल के पत्तों के पीछे से आईने में नकली चांद की छाया दिखा दी वीरवती ने इसे असली चांद समझ लिया और अपना व्रत समाप्त कर खाना खा लिया वीरवती ने जैसे ही खाना खाया वैसे ही समाचार मिला कि उसके पति की तबियत बहुत खराब हो गई है रानी तुरंत अपने राजा के पास भागी रास्ते में उसे भगवान शंकर पार्वतीदेवी के साथ मिले।

पार्वती देवी ने रानी को बताया कि उसके पति की मृत्यु हो गई है क्योंकि उसने नकली चांद देखकर अपना व्रत तोड़ दिया था रानी ने तुरंत क्षमा मांगी पार्वती देवी ने कहा, तुम्हारा पति फिर से जिन्दा हो जायेगा लेकिन इसके लिये तुम्हें करवा चौथ का व्रत कठोरता से संपन्न करना होगा तभी तुम्हारापति फिर से जीवित होगा उसके बाद रानी वीरवती ने करवा चौथ का व्रत पूरी विधि से संपन्न किया और अपने पति को दुबारा प्राप्त किया कहा जाता है कि छलनी से अपने पति को देखने का मनोवैज्ञानिक कारण भी है क्योंकि पत्नी अपने मन से सभी विचारों और भावनाओं को छलनी से छानकर शुद्ध कर लेती है और अपने पति के प्रति सच्चे प्रेम-भाव को प्रकट करती है।

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मिट्टी के करवा का महत्व

कहा जाता है कि मिट्टी का करवा पंचतत्व का प्रतीक माना जाता है करवा का साधारण अर्थ होता है मिट्टी से बना बर्तन इस व्रत में सुहागिन महिलाएं करवा की पूजा करके चौथ माता से प्रार्थना करती है कि उनका प्रेम अटूट रहे है पति-पत्नि के बीच विश्वास का धागा कमजोर नहीं होने पाएं।

करवा चौथ पर सिरगी का महत्व

बता दें कि करवा चौथ के दिन महिलाएं सुबह चार बजे उठकर सरगी खाती है इसके बाद पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को चंद्रमा के दर्शन करने के बाद अपने पति के हाथो से पानी पीने के बाद व्रत तोड़ती हैं।

आप के जितने भी करवाचौथ को लेकर सवाल थे उनकी सभी की जानकारी आपको मिल गयी होगी आपको हमारे द्वारा दी गयी जानकारी कैसी लगी हमे जरूर बताये ऐसी ही नयी नयी जानकारी के लिए हमे फॉलो करें।

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