अमेठी से मिली जीत कांग्रेस को , चल गया आकड़ो से पता

चुनाव को लेकर सभी मे एक नई उम्मीद है अमेठी कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती है कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी इस बार भी अमेठी से चुनाव लड़ रहे हैं हालांकि वे केरल की वायनाड सीट से भी उम्मीदवार हैं इसे लेकर भाजपा उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने तंज भी कसा था लेकिन ऐसा करते हुए वे यह भूल गईं थी कि मोदी लहर में भी नरेंद्र मोदी ने गुजरात और यूपी की दो सीटों से चुनाव लड़ा था।

तर्क भले दिए जाएं लेकिन सच यह है कि अमेठी लोकसभा सीट गांधी परिवार का मजबूत गढ़ मानी जाती रही है पहले संजय गांधी और उनके निधन के बाद राजीव गांधी ने लोकसभा में अमेठी की नुमाइंदगी की इसके बाद 1999 में सोनिया गांधी भी यहां से चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंचीं थी।

2004 में कांग्रेस ने राहुल गांधी को अमेठी से अपना उम्मीदवार बनाया और उन्होंने जीत हासिल की व पहली बार सांसद बने तब से वे लगातार अमेठी से सांसद हैं इससे ही अमेठी में कांग्रेस के दबदबे का पता चलता है यों केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा ने कांग्रेस के इस मजबूत किले को भेदने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।

पिछली बार स्मृति ईरानी अमेठी से उम्मीदवार थीं इस बार फिर स्मृति ईरानी ही राहुल के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं पिछली बार चुनाव हारने के बावजूद स्मृति ईरानी अमेठी में सक्रिय रहीं वे लगातार आती रहीं और लोगों से संवाद बनाती रहीं।

स्मृति ईरानी के नामांकन में लोगों की भीड़ इसका सबूत भी है कि वे इलाके के लोगों से संपर्क बनाने में कामयाब रहीं हैं जाहिर है कि इसे लेकर कांग्रेस सतर्क भी है और चिंतित भी हालांकि अमेठी में सपा और बसपा ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा है जिससे कांग्रेस को एक तरीके से वॉक ओवर मिल गया है।

सपा और बसपा ने कांग्रेस को परोक्ष रूप से समर्थन देते हुए अमेठी में अपना उम्मीवार नहीं उतारा आंकड़ों की बात करें तो अमेठी में सपा के मुकाबले बसपा ज्यादा मजबूत नजर आती है और पिछले चुनावों तक यहां से उम्मीदवार उतारती रही है पिछले लोकसभा चुनाव अमेठी से बसपा के उम्मीदवार को पचास हजार से ज्यादा वोट मिले थे जबकि 2009 और 2004 में एक लाख के आसपास था।

सपा ने आखिरी बार 1999 में इस सीट से अपना उम्मीदवार उतारा था, जिसे मात्र सोलह हजार के आसपास वोट ही मिले थे इससे पहले 1998 में सपा के उम्मीदवार को तीस हजार के आसपास और 1996 में अस्सी हजार के करीब वोट मिले थे।

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 2004 के लोकसभा चुनाव में अमेठी से करीब 2.90 लाख वोट से जीत दर्ज की थी, जबकि 2009 में जीत का अंतर करीब 3.70 लाख था लेकिन 2014 के चुनाव में वे एक लाख से कुछ ज्यादा वोटों से जीते थे राहुल गांधी को पिछले चुनाव 408,651 वोट मिले थे।

स्मृति ईरानी ने उन्हें कड़ी टक्कर दी और 300,748 वोट हासिल किए थे पिछली बार के आंकड़े के देखें तो राहुल की रात इस बार बहुत आसान नहीं है अमेठी में लेकिन पार्टी के लिए संतोषजनक बात यह है कि सपा-बसपा का उम्मीदवार न होने की वजह से उसका पलड़ा भारी है।

आंकड़ों पर नजर डालें तो सपा और बसपा मिलकर अमेठी में एक से डेढ़ लाख मतदाताओं को प्रभावित करती रही हैं और इस बार दोनों पार्टियां कांग्रेस के साथ खड़ी हैं अगर सपा-बसपा के परंपरागत मतदाताओं में से पचास फीसद मतदाता भी कांग्रेस के पक्ष में खड़े होते हैं, तो उसका पलड़ा भारी होना लाजिमी है।

अब तक हुए कुल पंद्रह चुनावों में से तेरह बार कांग्रेस के उम्मीदवार अमेठी से जीतते रहे हैं अमेठी में पहली बार 1967 में चुनाव हुआ था कांग्रेस के विद्याधर बाजपेयी ने जीत हासिल की थी और 1971 में भी वाजपेयी ही जीते थे आपातकाल के बाद 1977 में हुए चुनाव में जनता पार्टी के रवींद्र प्रताप सिंह ने इस सीट पर कब्ज़ा जमाया, लेकिन 1980 में इंदिरा गांधी के पुत्र संजय गांधी को यहां से लड़ाया गया और वे जीते उनके निधन के बाद उनके बड़े भाई राजीव गांधी को इस सीट पर उपचुनाव लड़वाया गया।

1991 में अपने निधन तक वे चार बार इस सीट से सांसद रहे राजीव के निधन के बाद गांधी परिवार के करीबी सतीश शर्मा इस सीट पर दो बार चुनाव जीते, लेकिन 1998 में भाजपा के संजय सिंह ने इस सीट पर कब्ज़ा कर लिया हालांकि अगले ही साल राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी ने इस सीट से चुनाव लड़ा और जीत गईं फिर 2004 में कांग्रेस के मौजूदा अध्यक्ष राहुल गांधी को अमेठी सीट से उम्मीदवार बनाया गया तब से लगातार वे जीत रहे हैं।

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