अलसी के बीज के फायदे – alsi ke bij ke fayde/ किन किन बीमारियों में अलसी का सेवन करें

अलसी के बीज का सेवन कैसे करें और इसकी तासीर गरम होती है या ठंडी, यहां जानें सही जवाब
अलसी क्या है? ( Alsi ke bij ke fayde ) 

अलसी का दूसरा नाम तीसी है। यह एक जड़ी-बूटी है, जिसका इस्तेमाल औषधि के रूप में भी किया जाता है। स्थानों की प्रकृति के अनुसार, तीसी के बीजों के रंग-रूप, और आकार में भी अंतर पाया जाता है। देश भर में तीसी के बीज सफेद, पीले, लाल, या थोड़े काले रंग के होते हैं। गर्म प्रदेशों की तीसी सबसे अच्छी मानी जाती है। आमतौर पर लोग तीसी के बीज, तेल को उपयोग में लाते हैं। तीसी के प्रयोग से सांस, गला, कंठ, कफ, पाचनतंत्र विकार सहित घाव, कुष्ठ आदि रोगों में लाभ लिया जा सकता है।

अलसी के फायदे ( Alsi Ke bij ke fayde )
Flax seed facts : अलसी के बीज खाने से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, हार्ट अटैक का खतरा कम होता है, कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहता है, फैट कम करने जैसे फायदे होते हैं इन फायदों के बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन कुछ ऐसे सवाल हैं अलसी के बीज (Flax seed benefits) को लेकर जो लोग अकसर पूछते हैं जिसके जवाब आज हम इस लेख के माध्यम से देंगे हम आपको बताएंगे इसकी तासीर से लेकर खाने का समय और मात्रा भी।

अलसी के बीज से जुड़े सवाल

अलसी के सेवन से बढ़ती उम्र के लक्षण भी चेहरे पर कम दिखाई देते हैं।

अर्थाराइटिस, अस्थमा, डायबिटीज जैसी बीमारियों के खतरे से बचाता है।

यह स्किन को ग्लोइंग बनाने का काम करता है।

लोग अकसर पूछते हैं कि इसका सेवन गरमी में करना चाहिए की नहीं तो बता दें कि इसकी तासीर गरम होती है इसलिए इस मौसम में बहुत सीमित मात्रा में इसे खाना चाहिए।

अलसी के बीज को आप सुबह में खाली पेट गरम पानी में 1 चम्मच मिलाकर पी सकते हैं यह बहुत ज्यादा लाभकारी होता है इस तरीके से खाने से फैट तेजी से घटता है।

आप इसे प्रतिदिन खाते हैं तो इसमें मौजूद अल्फा लाइनोइक, अर्थाराइटिस, अस्थमा, डायबिटीज जैसी बीमारियों के खतरे से बचाएगी. इससे शरीर के आंतरिक अंग मजबूत होते हैं।

अलसी के सेवन से बढ़ती उम्र के लक्षण भी चेहरे पर कम दिखाई देते हैं इससे फेस पर नजर आने वाली झुर्रियां और फाइन लाइन भी कम होती हैं इससे स्किन (glowing skin ) चमकदार होती है।

अलसी के बीज में ओमेगा 3 (Omega 3) भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो ब्लड सर्कुलेशन (blood circulation) को बेहतर करने में मदद करता है, इससे हार्ट अटैक (heart attack) का भी खतरा कम होता है।

आपने अलसी (flax seeds) का रोज घर में प्रयोग करते होंगे। कई घरेलू व्यंजनों में अलसी का इस्तेमाल किया जाता है। वैसे तो असली के बीज बहुत ही छोटे-छोटे होते हैं, लेकिन इसमें इतने सारे गुण होते हैं, जिसका आप अंदाजा नहीं लगा सकते। क्या आपको यह जानकारी है कि जिस अलसी के बीज को आप सभी केवल खाद्य पदार्थ के रूप में इस्तेमाल में लाते हैं, उससे रोगों का इलाज भी किया जा सकता है? जी हां, अलसी के फायदे और भी हैं।

आप अलसी का उपयोग कर, अनेक रोगों की रोकथाम कर सकते हैं, अपने परिवार को स्वस्थ बना सकते हैं। यहां आपको अलसी के फायदे, अलसी का उपयोग, अलसी के गुण की पूरी जानकारी देने वाले है।

अलसी खाने के फायदे (Alsi Benefits and Uses in Hindi)

अलसी या तीसी का औषधीय प्रयोग इस तरह से किया जा सकता हैः-

नींद ना आने की बीमारी में अलसी का प्रयोग (Alsi Seeds Benefits to Treat Insomnia in Hindi)

नींद ना आने की बीमारी में अलसी का सेवन फायदेमंद होता है। इसके लिए अलसी, तथा एरंड तेल को बराबर-बराबर मात्रा में मिलाकर, कांसे की थाली में अच्छे से पीस लें। इसे आंखों में काजल की तरह लगाने से नींद अच्छी आती है।

अलसी के फायदे आंखों के रोग में (Alsi Seed Benefits in Eye Disease Treatment in Hindi)

अलसी के गुण आँख संबंधी बीमारियों में बहुत फायदेमंद होता है।  आंखों की बीमारी, जैसे- आंख आना, आंखों की लालिमा खत्म होने आदि को ठीक करने के लिए अलसी के बीजों को पानी में फूला लें। इस पानी को आंखों में डालें। इससे आंख आने की परेशानी में फायदा होता है। [Go to: Benefits of Flax seeds]

अलसी के इस्तेमाल से दर्द और सूजन में लाभ (Benefits of Alsi Seeds to Treat Pain and Inflammation in Hindi)

तीसी (agase beeja) के इस्तेमाल से दर्द, और सूजन में भी बहुत फायदा होता है। इसमें अलसी से बनाई हुई गीली दवा बहुत काम करती है। एक भाग कुटी हुई अलसी को, 4 भाग उबलते हुए पानी में डालकर धीरे-धीरे मिलाएं। यह गीली होनी चाहिए, लेकिन बहुत गाढ़ा नहीं होना चाहिए। इसे दर्द, या सूजन वाले अंग पर तेल की तरह चुपड़ कर लगाएं। इसके प्रयोग से सूजन, और दर्द दूर होती है।

अलसी के फायदे : कान की सूजन को ठीक करने में (Flax Seeds Benefits in Reducing Ear Inflammation in Hindi)

कान की सूजन को ठीक करने के लिए अलसी के गुण उपचार स्वरुप बहुत काम आते हैं। इसके लिए अलसी को प्याज के रस में पकाकर, छान लें। इसे 1-2 बूंद कान में डालें। इससे कान की सूजन ठीक हो जाती है।

अलसी के फायदे सिर दर्द में (Uses of Alsi in Relief from Headache in Hindi)

क्या आजकल सिरदर्द की समस्या से सबसे ज्यादा परेशान रहने लगे हैं? तो एक आसान घरेलू उपाय से इस समस्या से निजात पा सकते हैं। सिरदर्द से आराम पाने के लिए अलसी का सही तरह से प्रयोग करने पर अलसी के लाभ पूरी तरह से मिल सकता है। इसके लिए अलसी के बीजों को ठंडे पानी में पीसकर लेप करें। इससे सूजन के कारण होने वाले सिर दर्द, या अन्य तरह के सिर दर्द, या फिर सिर के घावों में फायदा मिलता है।

जुकाम से राहत पाने के लिए अलसी का सेवन (Benefits of Alsi for Common Cold in Hindi)

जुकाम से परेशान हैं, तो तीसी का इस्तेमाल कर सकते हैं। महीन पिसी अलसी को साफ कर धीमी आंच से तवे पर भून लें। जब यह अच्छी तरह भून जाय, और गंध आने लगे, तब पीस लें। इसमें बराबर मात्रा में मिश्री मिला लें। अलसी खाने का तरीका यह है कि आप इसे 5 ग्राम की मात्रा में गर्म पानी के साथ, सुबह और शाम सेवन करें। इससे जुकाम में लाभ होता है। [Go to: Benefits of Flax seeds]

अलसी के फायदे खांसी और दमा में (Benefits of Flax seeds in Fighting with Cough and Asthma in Hindi)

मौसम के बदलाव के समय  खांसी और दमे से अगर बार-बार परेशान रहते हैं तो  इसका सही तरह से प्रयोग कर अलसी के लाभ से पूरा फायदा उठा सकते हैं।

अलसी के बीज खाने के फायदे (alsi ke beej ke fayde) खांसी और दमा रोग में भी मिलते हैं। अलसी के बीजों से काढ़ा बना लें। इसे सुबह और शाम पीने से खांसी, और अस्थमा में लाभ होता है। ठंड के दिनों में मधु, तथा गर्मी में मिश्री मिलाकर सेवन करना चाहिए।

इसी तरह 3 ग्राम अलसी के चूर्ण को, 250 मिली उबले हुए पानी में डालें। इसे 1 घण्टे तक छोड़ दें। इसमें थोड़ी चीनी मिलाकर सेवन करें। इससे सूखी खांसी तथा अस्थमा में लाभ होता है।

इसके अलावा, 5 ग्राम अलसी के बीजों (agase beeja) को 50 मिली पानी में भिगोकर रखें। 12 घंटे बाद छानकर पानी को पी लें। सुबह भिगोआ हुआ पानी शाम को, और शाम को भिगोया हुआ पानी सुबह को पिएं। इस पानी के सेवन से खांसी, और दमा में फायदा होता है। इस दौरान ऐसा कुछ नहीं खाना, या पीना चाहिए, जो बीमारी को बढ़ाने वाला हो।

आप खांसी, या दमा के इलाज के लिए 5 ग्राम अलसी के बीजों को कूटकर छान लें। इसे जल में उबाल लें। इसमें 20 ग्राम मिश्री मिला लें। यदि ठंड का मौसम हो तो मिश्री के स्थान पर शहद मिलाएं। इसे सुबह और शाम सेवन करें। इससे खांसी, और अस्थमा में लाभ होता है।

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आप खांसी, और दमा के उपचार के लिए यह तरीका भी आजमा सकते हैं। 3 ग्राम अलसी के बीजों को मोटा कूट लें। इसे 250 मिली उबलते हुए पानी में भिगो दें। इसे एक घंटा ढक कर रख दें। इसे छानकर, थोड़ी चीनी मिला लें। इसका सेवन करने से भी सूखी खांसी, और दमा की बीमारी ठीक हो जाती है।

इसके अलावा, अलसी के बीजों (alsi ke beej) को भूनकर शहद, या मिश्री के साथ चाटें। इससे खांसी, और दमा का इलाज होता है।

अलसी के औषधीय गुण से खांसी को ठीक किया जा सकता है। आप तीसी के भूने बीज से 2-3 ग्राम चूर्ण बना लें। इसमें मधु, या मिश्री मिलाकर सुबह और शाम सेवन करें। इससे खांसी ठीक

वात-कफ दोष में अलसी के फायदे  (Benefits of Alsi for Vata-Kafa Disorder in Hindi)

अलसी के औषधीय गुण का फायदा वात-कफ विकार में भी ले सकते हैंं। 50 ग्राम भूनी अलसी के चूर्ण में बराबर-बराबर मात्रा में मिश्री, और एक चौथाई भाग मरिच मिला लें। इसे 3-5 ग्राम की मात्रा में सुबह, मधु के साथ सेवन करने से वात-कफ दोष विकार ठीक होते हैं।

थायराइड में अलसी का उपयोग लाभदायक (Benefits of Alsi in Thyroid Treatment in Hindi)

आप थायराइड का उपचार करने के लिए भी अलसी का प्रयोग कर सकते हैं। अलसी के लाभ का पूरा फायदा उठाने के लिए बराबर-बराबर मात्रा में अलसी के बीज, शमी, सरसों, सहिजन के बीज, जपा के फूल, तथा मूली की बीज को छाछ से पीसकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को गले की गांठों आदि पर लेप करने से थायराइड में लाभ होता है।

अलसी के चूर्ण को दूध, और पानी में मिला लें। इसमें थोड़ी हल्दी का चूर्ण डालकर खूब पका लें। यह गाढ़ा हो जाएगा। इस गर्म गाढ़े औषधि को आप जहां तक सहन कर सकें, गर्म-गर्म ही गांठ पर लेप करें। ऊपर से पान का पत्ता रख कर बांध दें। इस प्रकार कुल 7 बार बांधने से घाव पककर फूट जाता है। घाव की जलन, टीस, पीड़ा आदि दूर होती है। बड़े-बड़े फोड़े भी इस उपाय से पककर फूट जाते हैं। यह लाभ कई दिनों तक लगातार बांधने से होता है।

इसी तरह अलसी को पानी में पीसकर, उसमें थोड़ा जौ का सत्तू, तथा खट्टी दही मिला लें। इसे फोड़े पर लेप करने से भी फोड़ा पक जाता है।

वात रोग के कारण होने वाले फोड़े में अगर जलन, और दर्द हो रहा हो, तो तिल और तीसी (alsi ke beej) को भून लें। इसे गाय के दूध में उबाल लें। ठंडा होने पर इसी दूध में पीसकर फोड़े पर लेप करें। इससे लाभ होता है।

पके फोड़े के दर्द को ठीक करने के लिए यह उपाय भी कर सकते हैं। बराबर-बराबर मात्रा में अलसी, गुग्गुल, थूहर का दूध लें। इसके साथ ही मुर्गा, तथा कबूतर की बीट, पलाशक्षार, स्वर्णक्षीरी, तथा मुकूलक का पेस्ट लें। इनका लेप घाव पर करें। इससे घाव ठीक हो जाता है।

घाव को पकाने के लिए तिल की बीज, अलसी की बीज, खट्टा दही, सुराबीज, कूठ, तथा सेंधा नमक को पीसकर चूर्ण चूर्ण बना लें। इसे घाव पर लेप करने से घाव ठीक हो जाता है।

Alsi ke bij
Alsi ke bij

आग से जलने पर अलसी का प्रयोग (Benefits of Flax Seeds in Burning Problem in Hindi)

शुद्ध अलसी का तेल, और चूने का निथरा हुआ जल को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर अच्छी प्रकार मिला लें। यह सफेद मलहम जैसा हो जाता है। अंग्रेजी में इसे Carron oil  कहते हैं। इसको आग से जले हुए स्थान पर लगाएं। इससे तुरंत आग से जले हुए घाव का दर्द ठीक हो जाता है। रोज 1 या दो बार लेप करते रहने से घाव ठीक होता है।

कामोत्तेजना बढ़ाने और वीर्य (धातु रोग) रोग में अलसी से लाभ (Flax Seeds Benefits for Sexual Stamina and Semen Disease in Hindi)

कई लोगों की शिकायत होती है कि उनकी सेक्स करने की ताकत में कमी आ गई है। इसी तरह अनेक लोग वीर्य, या धातु रोग से पीड़ित रहते हैं। इन सभी परेशानियों को तीसी, या अलसी का प्रयोग ठीक कर सकता है। काली मिर्च और शहद के साथ अलसी का सेवन करें। इससे सेक्स करने की ताकत बढ़ती है, और वीर्य दोष दूर होता है।

बवासीर में अलसी अलसी के तेल के सेवन से फायदा (Alsi Benefits in Piles Treatment in Hindi)

बवासीर के लिए  5-7 मिली अलसी के तेल का सेवन करें। इससे कब्ज ठीक होता है, और बवासीर में लाभ होता है।

टीबी में अलसी के बीजों के सेवन से लाभ (Flax Seeds Benefits for TB Disease in Hindi)

टीबी के लिए 25 ग्राम अलसी के बीजों को पीसकर, रात भर ठंडे पानी में भिगोकर रखें। इस पानी को सुबह कुछ गर्म करें, और इसमें नींबू का रस मिलाकर, पिएं। इससे टी.बी. के रोगी को बहुत लाभ होता है। [Go to: Benefits of Flax seeds]

जोड़ों के दर्द से राहत पाने के लिए अलसी का इस्तेमाल (Linseed Benefits for Arthritis in Hindi)

जोड़ों के दर्द या गठिया में भी अलसी जड़ी-बूटी बहुत काम करता है। अलसी तेल या अलसी की बीजों को इसबगोल के साथ पीसकर लगाने से जोड़ों के दर्द में लाभ होता है।

इसी तरह अलसी के तेल को गर्म कर, शुंठी का चूर्ण मिला लें। इससे मालिश करने से कमर दर्द, तथा गठिया में लाभ होता है।

अलसी के उपयोगी भाग (Useful Parts of Alsi)

अलसी का पंचांग के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।

अलसी का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Alsi or Flax Seeds in Hindi?)

अब आप अलसी खाने के फायदों के बारे में जान चुके हैं, आइये जानते हैं कि अलसी की कितनी मात्रा का उपयोग करना चाहिए :-

तीसी या अलसी का चूर्ण- 2-5 ग्राम

अलसी (aglasem) का पूरा लाभ लेने के लिए आप चिकित्सक से परामर्श लें।

अलसी या तीसी कहां पाई या उगाई जाती है? (Where is Alsi Found or Grown?)

अलसी (aglasem) की खेती पूरे भारत में की जाती है। भारत में अलसी की खेती शरद ऋतु की फसल के साथ की जाती है। हिमाचल प्रदेश में भी 1800 मीटर की ऊंचाई तक तीसी बोई जाती है।

अलसी के बीज बहुत ही फायदेमंद होते है इनका सेवन जरूर करना चाहिए अलसी के बीज हमारे शरीर को बहुत सारे फायदे देते है।

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