भारत मे दूसरे नंबर पर होता है प्याज का उत्पादन, फिर भी इतनी महंगी क्यो

क्या आप भी इस बात से हैरान है इस साल ज्यादा उत्पादन के बावजूद आपूर्ति की कमी के चलते पिछले छह महीनों में प्याज की कीमतें 177 फीसदी तक बढ़ गई हैं. एक तरफ भारी बारिश के चलते गोदामों के स्टॉक बर्बाद हो गए और दूसरी तरफ बिचौलिये हालात को भुनाने के लिए कृत्रिम कमी पैदा कर रहे हैं।

शुरुआती अनुमानों से पता चलता है कि भारत ने इस साल 267.3 लाख मीट्रिक टन प्याज का उत्पादन किया, जो पिछले साल की तुलना में करीब 17 फीसदी ज्यादा है स्टोरेज क्षमता को भी बढ़ाकर 54 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया है।

भारत में प्याज की कुल पैदावार का आधा (51 फीसदी) हिस्सा महाराष्ट्र और कर्नाटक से आता है. हालांकि, महाराष्ट्र में करीब 27 लाख टन के स्टॉक में से 40 फीसदी प्याज बारिश और कुप्रबंधन की वजह से सड़ गया।

इसी तरह कर्नाटक में भी 30 फीसदी उपज खराब हो गई मौसम की खराब स्थिति के साथ, बिचौलियों और थोक विक्रेताओं की सांठगांठ भी कम आपूर्ति के लिए जिम्मेदार है।

नाम न छापने की शर्त पर कृषि मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने इंडिया टुडे को बताया, “मानसून की वजह से प्याज की आपूर्ति बाधित हो गई, लेकिन हमें इनपुट मिले कि जमाखोर और बिचौलिए हाल में निर्यात पर लगे प्रतिबंध के प्रभाव का मूल्यांकन कर रहे हैं और वे कृत्रिम कमी पैदा करना शुरू कर सकते हैं हालांकि, हम स्थिति पर करीब से नजर रख रहे हैं।”

प्याज की बढ़ी कीमतों की वजह से 14 सितंबर से इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया हालांकि, बाद में सरकार बांग्लादेश को निर्यात करने की इजाजत दे दी दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में प्याज की औसत खुदरा कीमत 40-60 रुपये प्रति किलोग्राम है, जून में यह 20-30 रुपये थी जमाखोर प्याज की कीमतों को और ज्यादा बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।

भारत के सबसे बड़े थोक बाजारों में से एक महाराष्ट्र के लासलगांव में अप्रैल में प्याज की कीमत 721 रुपये प्रति क्विंटल थी मध्य सितंबर तक यह बढ़कर 2,000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गई।

पिछले साल भी प्याज की कीमतों में काफी तेजी आई थी सितंबर 2019 में थोक मूल्य बढ़कर 32 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया था, जो इस साल की तुलना में करीब 12 रुपये ज्यादा है लेकिन दिसंबर 2019 तक यह बढ़कर 80 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया था।

भारत अपनी घरेलू जरूरतों से ज्यादा प्याज का उत्पादन करता है, लेकिन खराब स्टोरेज सुविधा और कमजोर सप्लाई चेन की वजह से हर साल संकट पैदा होता है औसतन 180 लाख टन के सालाना उत्पादन के साथ भारत चीन के बाद प्याज उत्पादन में दूसरे स्थान पर है।

आईआईटी दिल्ली से जुड़े अर्थशास्त्र के प्रोफेसर वी उपाध्याय ने कहा, “सरकार को इस वक्त बाजार की सक्रिय निगरानी करनी चाहिए ख़राब मौसम के चलते जमाखोरों और बिचौलियों का गठजोड़ सक्रिय हो गया है कि जमाखोरी करके दाम बढ़ाए जाएं और ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाया जाए प्याज की कीमतों पर नियंत्रण के लिए सरकार के सामने प्राकृतिक आपदाओं के साथ खराब स्टोरेज सुविधाओं और जमाखोरों से निपटने की भी चुनौतियां हैं।

भारत में प्याज की घरेलू खपत करीब 160 लाख टन है इसलिए भारत के पास ये गुंजाइश भी बनती है कि वह बांग्लादेश, मलेशिया, यूएई और श्रीलंका जैसे देशों को प्याज निर्यात कर सके भारत ने इस साल अप्रैल-जून के बीच 198 मिलियन डालर का प्याज निर्यात किया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक अहम दौर है क्योंकि बाजार में और कमी लाने के लिए बाजार को प्रभावित करने वालें ने अपना तंत्र सक्रिय कर दिया है।

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