आप सभी को “गुप्त रोगों को दूर करने के लिए करें नीम की निगोली का उपयोग, जानें इसके बारे में” के बारे में बताने जा रही हूँ, चलिए जानते हैं इसके बारे में।
नीम के सभी अंग बहुत ही फायदेमंदहोते हैं अर्थात् पत्ते, फूल, फल, छाल, शाखाएं आदि सभी को औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है नीम के फल या निम्बोली से बीज निकलता है जिससे तेल मिलता है नीम के तने से गोंद मिलता है इन सभी को दवा के रूप में उपयोग किया जाता है।
नीम इन रोगों के इलाज में सहायक होती है
कुष्ठ रोग के उपचार
कुष्ठ के उपचार के लिए नीम को सर्वोत्तम औषधि माना जाता है होम्योपैथी के अनुसार पुराने जीर्ण रोगों के लिए नीम सबसे अच्छी दवा मानी जाती है नीम का तेल जोकि गंध व स्वाद में कड़वा होता है, नीम का तेल प्रथम श्रेणी के कीटाणुनाशक होता है।
गर्भनिरोधक
वैज्ञानिकों के अनुसार नीम दुर्गन्धनाशक, कुष्ठ तथा पायरिया जैसे रोगों में बहुत लाभकारी होता है नीम एक अच्छा गर्भनिरोधक भी माना जाता है इसलियेइसके लिए नीम का उपयोग किया जाता है।
बवासीर
बवासीर जैसे कष्टकारी रोग के इलाज के लिए नीम तथा कनेर के पत्ते बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लेंना है इस मिश्रण को प्रभावित भाग पर लगाने से कष्ट कम होता है रोज सुबह निबोरियों का सेवन करने से भी आराम मिलता है प्रभावित अंग पर नीम का तेल भी लगाया जा सकता है इसलिए नीम बवासीर में सहायता होता है।
बुखार या मलेरिया
इस बीमारी में नीम का काढ़ा दिया जा सकता है इस काढ़े को बनाने के लिए एक गिलास पानी में कुछ नीम के पत्ते, निम्बोली, काली मिर्च, तुलसी, सोंठ, चिरायता बराबर मात्रा में डालकर उबालें इस मिश्रण को इतनी देर उबालें जिससे कि आधा पानी वाष्प बनकर उड़ जाए। फिर इस काढा का सेवन करें।
कान का बहना
रात को सोते समय इस मिश्रण की एक−दो बूंद डालने से कान का बहना बंद करता है गुनगुने नीम के तेल की दो−तीन बूंदें कान में टपकाने से कान के दर्द में राहत मिलती है अगर आप लोग भी इस परेशान है तो इसका उपयोग करें।
दस्त में आराम दिलाता है
नीम की पत्तियों को सुखाकर उसमे शक्कर मिलाकर सेवन करने से दस्त में आराम मिलता है पेट के कीड़ों को नष्ट करने के लिए नीम के पत्तों के रस में शहद और काली मिर्च मिलाकर सेवन किया जाए तो इससे छुटकारा मिलता है।
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