आज हम आपको कुछ योगा के बारे में बताएंगे योग भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा हैं। ये किसी भी मनुष्य को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बनाने में महत्वपूर्ण होते हैं। इसी कारण डॉक्टरों द्वारा भी इनकी सलाह दी जाती है।
जैसा कि हमने बताया कि ये शारिरिक और मानसिक दोनों तरीके से फायदेमंद हैं तो आज हम आपको ऐसे योग के बारे में बताएंगे जो आपके दिमाग को स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
ताड़ासन हमारे शरीर की मांसपेशियों को लचीला बनाता है। यह आपको चुस्त-दुरुस्त रखने के साथ आपके शरीर को सुड़ौल भी बनाता है। इसे करने से पाचन क्रिया और श्वसन की क्रिया दोनों बेहतर होते हैं। ये सियाटिका के दर्द से भी राहत दिलाता है। आइए जानते हैं ताड़ासन को करने का सही तरीका क्या है।
ताड़ासन के लिए जमीन पर सीधे खड़े हो जाएं। दोनों पैरों के पंजे व एड़ियां जुड़े होने चाहिए। ध्यान रखें कि आपके दोनों पैरों के पंजों पर बराबर वजन हो। अपने दोनों हाथों को जांघों के आसपास रखें। गहरी सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर उठाएं और नमस्कार की मुद्रा बनाएं। इसे अंजलि मुद्रा कहते हैं।
अब दोनों हाथों को ऊपर ले जाते हुए पैरों का सारा भार अंगूठों पर छोड़कर शरीर को ऊपर की ओर स्ट्रेच करें।सांस छोड़ते हुए वापस उसी अवस्था में आ जाएं।नियमित तौर पर 15 मिनट तक इस आसन का अभ्यास रक्त संचार ठीक रखता है और आपको फिट बनाए रखेगा।
वज्रासन घुटनों को मोड़ने के बाद पैरों पर बैठकर किया जाने वाला आसन है। ज्यादातर योगासन खाली पेट किए जाते हैं, लेकिन वज्रासन को आप खाना खाने के बाद भी कर सकते हैं। यह आसन हृदयगति को नियंत्रित रखता है और स्ट्रेस हार्मोन ‘कॉर्टिसोल’ को घटाकर तनाव कम करता है। इसके अभ्यास से जांघों और पिंडलियों की नसें-मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है, पीठ और पैर दर्द में आराम मिलता है।
वज्रासन करने के लिए फर्श पर दोनों पैर सामने की ओर फैलाकर सीधे बैठें। दोनों हाथों को कुल्हे के पास ले जाकर फर्श पर टिकाएं। इस दौरान शरीर का पूरा भार हाथों पर न आए। अब पहले दायां, फिर बायां पैर मोड़कर कूल्हे के नीचे रखें। सुनिश्चित करें कि दोनों जांघें और पैर के अंगुठे आपस में सटे हों।
अब अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रखें। इसके बाद रीढ़ की हड्डी सीधी रखते हुए शरीर को ढीला छोड़ दें। आंखें बंदकर सामान्य रूप से सांस लें और छोड़ें, 5-10 मिनट तक इस अवस्था में रहें। इसके बाद शरीर को दाईं ओर झुकाते हुए बाएं पैर को और बाईं ओर झुकाते हुए दाएं पैर को आगे करें। घुटनों में दर्द या टखने में चोट लगी हो तो वज्रासन न करें।
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