तुलसी विवाह के दिन जरूर करे ये काम, मिलेगी हर खुशी

आप भी अगर तुलसी विवाह के दिन ये काम करते है तो आपको मिलेगी खुशी ही खुशी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, 25 नवंबर देवउठनी ग्यारस या हरि प्रबोधिनी या देवोत्थान एकादशी का शुभ मुहूर्त है। इस दौरान हिंदू रीति रिवाज के साथ तुलसी विवाह की भी परंपरा है। वहीं, इस दौरान कोई भी मंगल कार्य करना बेहद शुभ माना जाता हैं। कुछ महिलाएं इस दिन व्रत भी करती हैं।

आज हम आपको बताएंगे कि एकादशी व्रत में महिलाओं को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और व्रत करने से क्या-क्या फायदे मिलते हैं।

व्रत करने से दूर होंगे सभी कष्ट

ऐसी मान्यता है कि एकादशी व्रत रखने से सारे कष्ट दूर होते हैं और मोक्ष मिलता है।

यही नहीं, निर्जला यह व्रत करने से धन, समृद्धि और वैभव बढ़ता है साथ ही परिवार में कोई कष्ट नहीं रहता।

इसके अलावा यह व्रत करने से अकालमृत्यु और पितृ दोष भी खत्म हो जाता है।

तुलसी विवाह के दिन ये काम करना ना भूलें

व्रत के दौरान भगवान विष्णु और मां तुलसी की उपासना करने के साथ “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का मंत्र” का जाप करें।

देवउठनी एकादशी की कथा सुनने और बोलने से हजार अश्वमेघ व 100 राजसूर्य यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है।

कुंडली में चंद्रमा कमजोर है तो फलाहार या निर्जला व्रत रखें। इससे चंद्र की स्थिति ठीक हो जाएगा। साथ ही इससे मानसिक तनाव दूर होगा और घर में सुख शांति आएगी।

मान्याता है कि जो भी व्यक्ति तुलसी विवाह का अनुष्ठान करता है उसे कन्यादान के बराबर पुण्य मिलता है। ऐसे में जिनके घर बेटियां नहीं है कि वो तुलसी विवाह करके कन्यादान का पुण्य कमा सकते हैं।

तुलसी पूजा के नियम

सुबह के समय ही तुलसी के पत्ते तोड़े और रविवार के दिन तुलसी के पास दीपक ना जलाएं।

भगवान विष्णु व उनके सभी अवतारों को तुलसीदल प्रसाद के रूप में चढ़ाएं।

तुलसी व्रत के दौरान शराब, मांस, मछली, लहुसन आदि का सेवन ना करें।

मासिक धर्म में तुलसी पूजा नहीं करनी चाहिए।

व्रत के दौरान अन्न का सेवन ना करें। अगर नहीं भी रखा तो भी सात्विक भोजन ही करें। साथ ही इस दिन चावल खाना भी वर्जित होता है।

तुलसी विवाह की विधि

तुलसी विवाह कर रहे हैं तो पूजा माता को लाल चुनरी जरूर चढ़ाएं और गमले में शालिग्राम को साथ रखें। इसके बाद उन्हें तिल चढ़ाए और दूध में भीगी हल्दी का तिलक लगाएं। विवाह के बाद किसी भी चीज के साथ 11 बार तुलसी की परिक्रमा करें। इसके बाद तुलसी मां को मिठाई और प्रसाद का भोग लगाकर आहार ग्रहण करें। जब पूजा खत्म हो जाए तो शाम को भगवान विष्णु से जागने का आह्वान करें।

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