आज हम आपको बताने जा रहे है एक बड़ी खुशखबरी
7 सितंबर की सुबह भले ही भारत के लिए एक उदास कर देने वाली खबर आई हो, लेकिन भारत की इस स्पेस एजेंसी ने बड़ा कमाल कर दिखाया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत की इसरो ने इस मिशन को लांच करने से पहले कई बड़ी योजनाएं बनाई थी तथा आपको जानकर हैरानी होगी कि इस तरह की योजना आज तक कोई भी देश नहीं बना सका है।
आपको बता दें कि इसरो के द्वारा भेजा गया लेंडर विक्रम भले ही चांद की सतह पर सही सलामत ना पहुंच पाया हो लेकिन वह सिर्फ चंद्रयान का 5% हिस्सा था। जी हां इसरो ने इस बात की तैयारी पहले से कर रखी थी कि यदि सॉफ्ट लैंडिंग में कोई दिक्कत हो तो मिशन का अधिक पैसा बर्बाद ना हो।
यही वजह है कि जब लेंडर विक्रम की कोई जानकारी हमारे पास मौजूद नहीं है, तब भी इसरो को इस मिशन में सिर्फ 5% घाटा हुआ है। 95% में अभी भी अंतरिक्ष में ठीक तरह से काम कर रहा है। बताते चलें कि chandrayaan-2 का ऑर्बिट चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर ऊपर उस के चक्कर लगा रहा है तथा इसके 7 पेलोड भी मौजूद हैं।
जानकारी के लिए बता दें कि यह ऑर्बिट अगले 1 साल तक चंद्रमा की फोटोस इसरो को भेजता रहेगा तथा बहुत हद तक उम्मीद ही यह भी है कि यही लेंडर विक्रम की फोटो भी इसरो तक भेजेगा क्योंकि इसरो की इसी सैटेलाइट को लैंडर विक्रम की सही लोकेशन का अंदाजा है।
ऐसे में यह बिल्कुल नहीं कहा जाना चाहिए कि भारत का चंद्रयान में मिशन फेल हुआ। बल्कि यह अभी भी सफल है क्योंकि इसरो ने इस मिशन में सॉफ्ट लैंडिंग और ऑर्बिट दो मिशन लॉन्च किए थे।
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