आज हम आपको बहुत ही खास जानकारी देंगे
रिलायंस जियो से शुरू हुआ मुफ्त कॉलिंग और डेटा का सिलसिला आज भी लगभग बदस्तूर जारी है। इसको देखते हुए अन्य सभी टेलीकॉम कंपनियों ने भी मुफ़्त की ऐसी सर्विसेज देनी शुरू कर दी है। लोग पूरी सहजता के साथ इस बेहतरीन सुविधा का लाभ ले लहे थे, लेकिन अब भारत सरकार ग्राहकों और टेलीकॉम कंपनियों को बड़ा झटका देने पर विचार कर रही है।
टेलीकॉम सेक्टर के लिए हो सकता है फैसला
टेलीकॉम सेक्टर को भारी घाटे से उबारने के लिए सरकार वॉयस कॉलिंग और डाटा के लिए मिनिमम प्राइस तय करने का प्लान बना रही है। आपको बता दें कि पिछले 14 साल से चल रहे AGR विवाद की वजह से देश की दो बड़ी टेलिकॉम कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है।
सरकार कर रही है विचार
इन टेलीकॉम कंपनियों और पूरे सेक्टर को घाटे से उबारने के लिए IANS की रिपोर्ट के मुताबिक, दूरसंचार मंत्रालय टेलीकॉम कंपनियों के लिए वॉयस और डाटा के लिए मिनिमम प्राइस तय करने पर विचार कर रही है।सरकार का मानना है कि फ्री या बेहद सस्ते वॉयस और डाटा टैरिफ की वजह से पिछले कुछ सालों में टेलिकॉम कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
लगातार हो रहा है घाटा
वहीं, स्पेक्ट्रम और लाइसेंस की कीमत भी काफी ज्यादा है, जिसकी वजह से टेलिकॉम कंपनियों को लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है। पिछली तिमाही में देश की दोनों बड़ी टेलिकॉम कंपनियों Vodafone-Idea और Airtel को कुल Rs 74,000 करोड़ का घाटा उठाना पड़ा है। सेक्रेटरी की कमिटी (CoS) ने इस भारी घाटे को उबारने के लिए वॉयस कॉलिंग और डाटा के लिए मिनिमम प्राइस तय करने पर विचार कर रही है। कमिटी अपनी इस रेकोमेंडेशन को दूरसंचार विभाग (DoT) को भेजने की तैयारी में है।
सुप्रीम कोर्ट भी है सख्त
आपको बता दें कि टेलिकॉम कंपनियों को रेग्युलेट करने वाली TRAI ने टेलिकॉम कंपनियों के इस रेकोमेंडेशन को पहले ठुकरा दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने टेलिकॉम कंपनियों को सरकार को Rs 92,000 करोड़ AGR (एडजस्टेड ग्रॉस रिवेन्यु) के भुगतान करने का निर्देश दिया है।दूरसंचार विभाग मिनिमम चार्ज वाले प्लान को रिव्यू करके टेलिकॉम ऑपरेटर्स को भेजेगी, ताकि दूरसंचार कंपनियां लाइसेंस फी और स्पेक्ट्रम के लिए अदा की गई राशि की उगाही कर सके।
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