कही आप भी तो नही डिप्रेशन के शिकार आइये जानते है

कभी कभी हम समझ ही नही पाते कि हमे हुआ क्या है जब कोई भी व्यक्ति इतना दुखी रहने लगे कि उसे अपनी जिन्दगी से भी प्यार रहे, अपने खुद का भी होश न रहे तो उसे डिप्रेशन कहते हैं डिप्रेशन को हिन्दी में अवसाद कहते हैं। इसकी वजह से लोगों की ज़िंदगी से रुचि ख़त्म होने लगती है और रोज़मर्रा के कामकाज से मन उचट जाता है। 

ज़िंदग़ी के कई अहम पड़ाव जैसे- किसी नज़दीक़ी की मौत, नौकरी चले जाना या शादी का टूट जाना, आम तौर पर डिप्रेशन की वजह बनते हैं इनके साथ ही अगर आपके मन में हर समय कुछ बुरा होने की आशंका रहती है तो इससे भी डिप्रेशन में जाने का ख़तरा रहता है इसके तहत लोग सोचते रहते हैं ‘मैं तो हर चीज़ में विफल हूँ’।

डिप्रेशन के लक्षण

मूड

सामान्य उदासी अवसाद की श्रेणी में नहीं आती लेकिन किसी भी काम में मन न लगना, अरुचि, किसी बात से खुशी न होना यहां तक दुख का भी अहसास न होना अवसाद के लक्षण होते हैं।

विचार

विचार अर्थात हर समय नकारात्मक सोच होना।

शारीरिक

शारीरिक लक्षण जैसे नींद न आना या बहुत नींद आना। बीच रात को नींद खुल जाना और यदि यह दो सप्ताह से ज्यादा हो तो ये अवसाद के लक्षण होते हैं अवसाद बिना किसी खास कारण के भी हो सकता है। ये धीरे-धीरे घर करता जाता है और बजाए मदद की कोशिश के लोग इससे संघर्ष करते रहते हैं।

दिमाग के रसायन अवसाद में किस प्रकार की भूमिका अदा करते हैं ये अभी तक पूरी तरह नहीं समझा जा सका है लेकिन अधिकतर विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि ये केवल दिमाग में किसी तरह के असंतुलन की वजह से ही नहीं होता।

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